टिकैत के आँसुओं का डर? प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट बंद

 

टिकैत के आँसुओं का डर? प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट बंद

किसान नेता राकेश टिकैत के आँसुओं से क्या सरकार को डर लग गया? 26 जनवरी को किसान प्रदर्शन के दिन हिंसा के बाद बंद किए गए इंटरनेट को बहाल किया ही जा रहा था कि फिर से इंटरनेट को बंद कर दिया गया। और यह सब हुआ राकेश टिकैत के भावुक होने के उस वीडियो के वायरल होने के बाद। टिकैत के उन आंसुओं को देखकर ग़ाज़ीपुर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से तो बड़ी तादाद में किसान प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए ही, हरियाणा से भी सिंघु और टिकरी बॉर्डर की तरफ़ किसानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। 

शायद यही कारण है कि इंटरनेट पर पाबंदी दिल्ली के बाहरी इलाक़ों में उन जगहों पर लगाई गई है जिसमें सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर भी शामिल हैं। यह पाबंदी 31 जनवरी को रात 11 बजे तक लागू रहेगी। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट पर प्रतिबंध को कथित तौर पर 'सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने और आपातकालीन स्थिति से बचने के लिए' लगाया गया है।

शुरुआत में इन क्षेत्रों में इंटरनेट पर पाबंदी 26 जनवरी को हिंसा के बाद लगाई गई थी और यह आधी रात के लिए थी। बाद में इसे 27 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार इसके एक दिन बाद इंटरनेट की स्पीड को काफ़ी धीमा कर दिया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, उसी दिन सरकार ने ग़ाज़ीपुर में धरना स्थल को खाली करने की योजना बना ली थी। भारी तादाद में पुलिस बल तैनात किए गए थे। राकेश टिकैत शाम तक तकरीबन डेढ़ सौ लोगों के साथ ही रह गये थे। सरकार की संभावित कार्रवाई के बीच टिकैत ने धरना स्थल खाली करने से साफ़ इनकार कर दिया। टिकैत ने कहा कि यदि पुलिस चाहे तो उन्हें गिरफ़्तार कर ले, पर धरना ख़त्म नहीं होगा।

टिकैत ने भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि यदि कृषि क़ानून रद्द नहीं हुए तो वे आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि “मेरे गाँव के लोग जब तक मुझे पानी नहीं देंगे, मैं पानी नहीं पीऊंगा।” उन्होंने इसके साथ ही वहीं पर अनशन पर बैठने का एलान कर दिया। इसके बाद ग़ाज़ीपुर में हलचल बढ़ गई और तनाव भी। 

ऐसा नहीं है कि राकेश टिकैत के आँसुओं और मरते दम तक लड़ने के संकल्प ने सिर्फ़ यूपी के किसानों को ही झकझोरा। हरियाणा, पंजाब और यूपी की सड़कों पर जगह-जगह देर रात तक प्रदर्शन और सड़क जाम का सिलसिला शुरू हो गया।

दोबारा दिल्ली बॉर्डर की ओर ट्रैक्टर के साथ किसान चल पड़े। राकेश टिकैत के प्रति बढ़ते जनसमर्थन के बाद योगी सरकार के हाथ-पैर भी फूल गये। जबरदस्ती आंदोलन हटवाने की योजना पर अमल रोक दिया गया।

इंटरनेट पर प्रतिबंध से विरोध प्रदर्शन के प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि गाँवों और विरोध स्थल के बीच सभी समन्वय का माध्यम इंटरनेट है। इससे जुड़ा संदेश सोशल मीडिया पर वीडियो के माध्यम से या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा जाता है।

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